कुंडली के विभिन्न भावों में शनि का प्रभाव:

JYOTISH

5/8/20241 min read

A celestial depiction of Saturn influencing various astrological houses.
A celestial depiction of Saturn influencing various astrological houses.

कुंडली के विभिन्न भावों में शनि का प्रभाव:शनि की जन्मपत्रिका में स्थिति को भावों के अनुसार देखा जाता है। कुछ भावों में शनि को विशेष रूप से अच्छा या बुरा माना जाता है, जबकि अन्य में उसका प्रभाव सहायक ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है:

प्रथम भाव (पहला घर):

◦ यह सूर्य का घर है और यहां शनि को नीच राशि का माना जाता है।

◦ पहले भाव में शनि होने पर व्यक्ति में नकारात्मक विचार बहुत आते हैं और उसे पेट संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज हो सकती है।

◦ यदि कुंडली में सूर्य और मंगल मजबूत हों, तो व्यक्ति लंबी आयु और बिना बीमारियों के जीवन व्यतीत करता है, अन्यथा स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आती हैं।

द्वितीय भाव (दूसरा घर):

◦ शनि यहां ऐसे व्यक्ति को धन देते हैं जिसके जीवन में बृहस्पति का ज्ञान और शनि की मेहनत दोनों हों।

◦ यह व्यक्ति को कुटुंब से विरक्ति भी पैदा कर सकता है।

◦ अगर व्यक्ति ज्ञान और मेहनत दोनों को साथ लेकर चलता है, तो 36 वर्ष की आयु तक धन के मामले में उसे जबरदस्त संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन 36 के बाद धन में बड़ी तरक्की और उन्नति होती है। ऐसे व्यक्ति के दिमाग में पैसा हमेशा घूमता रहता है।

तृतीय भाव (तीसरा घर):

◦ यहां शनि को बहुत अच्छा नहीं माना जाता, क्योंकि यहां उन्हें बुध जैसा प्यारा मित्र और मंगल जैसा शत्रु मिलता है।

◦ इस भाव में शनि का असर बुध और मंगल की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि बुध कमजोर हो या मंगल बहुत ताकतवर हो जाए, तो शनि दुख और संघर्ष देता है। लेकिन, यदि बुध और मंगल दोनों मजबूत हों, तो शनि के दुष्प्रभाव न के बराबर होते हैं।

◦ कमजोर शनि गरीबी, नौकरी में परेशानियां, सस्पेंशन या मुकदमों का कारण बन सकता है।

चतुर्थ भाव (चौथा घर):

◦ यहां शनि की मुलाकात चंद्रमा से होती है। शनि आमतौर पर षड्यंत्रकारी नहीं होता, लेकिन यदि कुंडली में बुध मजबूत हो, तो शनि व्यक्ति को चालाकियां देता है।

◦ चौथे भाव में शनि होने पर चंद्रमा पीड़ित हो जाता है, जिससे लिक्विड कैश की कमी हो सकती है, जब तक कि चंद्रमा को गुरु का साथ न मिले

◦ यह व्यक्ति को बने बनाए मकान लेने की सलाह देता है। स्वयं कंस्ट्रक्शन करने पर मजदूरों या ठेकेदारों से संबंधित दिक्कतें आ सकती हैं।

◦ अच्छे शनि के साथ बृहस्पति और चंद्रमा की अच्छी स्थिति होने पर व्यक्ति के पास धन और जमीन जायदाद की कमी नहीं रहती और वह 3 से 7 मकान तक बना सकता है।

पंचम भाव (पांचवा घर):

◦ यह सूर्य का घर है और यहां शनि, सूर्य को टक्कर देता है, जिससे सूर्य पीड़ित महसूस करता है।

◦ पांचवें भाव में शनि से अक्सर एक ही संतान का योग बनता है, या संतान प्राप्ति में बाधा आती है (जैसे गर्भपात)। संतान के साथ वैचारिक मतभेद भी हो सकते हैं, माता-पिता बच्चों पर अपनी मर्जी थोप सकते हैं।

◦ यह प्रभाव तब अधिक होता है जब सूर्य और बृहस्पति पीड़ित हों।

छठा भाव (छठा घर):

◦ यहां शनि की मुलाकात बुध ग्रह और केतु से होती है, जो शनि के एजेंट माने जाते हैं।

◦ इस भाव में शनि मुकदमों, परेशानियों और रोगों से लड़ने की क्षमता देता है। व्यक्ति में चालाकियां बहुत पैदा होती हैं और वे परेशानियों से जूझने का आनंद लेते हैं। कलियुग के लिए यह स्थिति अच्छी मानी जाती है।

सप्तम भाव (सातवां घर):

◦ यहां शनि उच्च के माने जाते हैं और उनके परम मित्र मिलते हैं।

◦ सप्तम भाव को सूर्यास्त का स्थान भी कहा जाता है, जिससे शनि की ताकत बढ़ती है। यह स्थान धन, नौकरी और रोजगार के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

◦ यदि कुंडली में बुध और शुक्र अच्छे हों, तो सप्तम भाव का शनि कम उम्र में (19-20 वर्ष) शादी करवा सकता है और पति विद्वान, समझदार और धनी मिलता है।

◦ वहीं, यदि बुध और शुक्र खराब हों, तो शनि विवाह में देरी, पति-पत्नी में विवाद या अलगाव जैसी परेशानियां देता है।

अष्टम भाव (आठवां घर):

◦ शनि यहां जीवन में कई परेशानियां और रिश्तेदारों से झगड़े देता है।

◦ आयुष्य अच्छा होता है, लेकिन व्यक्ति को अपने से छोटी उम्र के पारिवारिक सदस्यों या परम मित्रों की मृत्यु का दुख झेलना पड़ता है।

नवम भाव (नौवां घर):

◦ शनि यहां स्वयं परेशान नहीं होते, बल्कि आनंद लेते हैं।

◦ हालांकि, यह भाग्य संबंधी मामलों में बड़ी अड़चनें पैदा करता है।

◦ यदि व्यक्ति अपनी शिक्षा पूरी करे (खासकर उच्च शिक्षा) और आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन करे, तो नौवें भाव का शनि कोई दुष्परिणाम नहीं देता और किस्मत में रुकावटें नहीं आतीं。

दशम भाव (दसवां घर):

◦ यह शनि का अपना घर है और यहां शनि ग्रह उत्तम माने जाते हैं।

◦ यह व्यक्ति को बहुत मेहनती बनाता है, जो सुबह से शाम तक काम करता है।

◦ यदि मंगल और बुध मजबूत हों, तो दसवें भाव का शनि व्यक्ति को सुपर मेहनती बनाता है और वह अपनी मेहनत से जीवन में बहुत ऊंचाइयां प्राप्त करता है。

एकादश भाव (ग्यारहवां घर):

◦ यह भी शनि का अपना घर है और यहां शनि उत्तम माने जाते हैं।

◦ 11वें भाव का शनि किस्मत को चमकाने वाला माना जाता है, क्योंकि यहां बृहस्पति का भी प्रभाव होता है。

द्वादश भाव (बारहवां घर):

◦ इस भाव में शनि को अच्छा नहीं माना जाता।

◦ यह व्यक्ति को अधीर (इंपेशेंट) और नकारात्मक विचारों वाला बनाता है। पति-पत्नी के शारीरिक संबंधों में भी बाधा डालता है।

◦ हालांकि, विदेश यात्रा या विदेश से जुड़े काम के मामलों में इतना खराब नहीं है。

शनि के परिणामों को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक:

बृहस्पति और शुक्र का प्रभाव: यदि कुंडली में बृहस्पति और शुक्र दोनों अच्छे हों, तो शनि अच्छे परिणाम देता है और व्यक्ति को धन बहुत अच्छे से प्राप्त होता है।

बुध और मंगल का प्रभाव: यदि कुंडली में बुध और मंगल दोनों अच्छे हालात में हों, तो शनि राहु की तरह चालाकियां और धन कमाने की कला देता है।

धैर्य और स्थिरता: शनि जितना उत्तम होगा, व्यक्ति उतना ही धैर्यवान, तकनीकी ज्ञान वाला और निरंतरता से काम करने वाला होगा। कमजोर शनि नौकरी बदलने, मेहनत से जी चुराने और धैर्य की कमी का लक्षण है।

लाल किताब का सूत्र: लाल किताब के अनुसार, कोई भी ग्रह तब फलता-फूलता है जब उसकी "जमीन" और "मकान" का मालिक (यानी उस भाव से जुड़े ग्रह) उसके परम मित्र हों या अच्छी स्थिति में हों। उदाहरण के लिए, चौथे भाव में शनि के अच्छे परिणाम चंद्रमा की अच्छी स्थिति पर निर्भर करते हैं, क्योंकि चंद्रमा ही वहां की जमीन और मकान का मालिक है।

शनि की अच्छी स्थिति धनवान और स्थिर जीवन के लिए आवश्यक है। चंद्रमा, शुक्र और गुरु जैसे जल तत्व के ग्रह धन देने का काम करते हैं,

A serene landscape depicting celestial bodies and astrological symbols.
A serene landscape depicting celestial bodies and astrological symbols.

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